How village life is different from city life-ग्रामीण जीवन सहरी जीवन से कैसे अलग होता है?

इस में कोई युक्ति नहीं है कि भारत का जीवन उसके गांव में बसता है। शदियों पहले जब मानव विकास के पथ पर जा रहा था तब से ग्रामीण जीवन का आरंभ हुआ। भारत को गांव का देश भी कहा जाता है।आज भारत की छवि कुछ भी हो मगर भारत की सही पहचान तो उसके गांव में ही है। हमें यह लगता है की भारत के गांव ही सच्चे गांव की परिभाषा हैं।

लेकिन आज जब समय के साथ परिवर्तन हो रहे हैं गांव के अलावा भी बहुत सारे शहर बन चुके हैं और बन रहे हैं। इस कड़ी में हमारे जीवन शैली पर भी कई सारे परिवर्तन आए हैं।एक ग्रामीण जीवन से शहरी जीवन कई मायनों में अलग होते हैं। तो चलिए आज उन दिशाओं में नजर घूमाते हैं।

1.ग्रामीण लोग प्रकृति से घिरे रहना पसंद करते हैं,जबकि शहर वासियों को ये नसीब नहीं होता।        

2.सुबह जल्दी उठना,खेतों में काम करना ग्रामीणों को आनंद देते हैं,मगर ज्यादातर शहरवासी यह सब नहीं कर पाते।

3.भारत के गांव में पारंपरिक भारत के चित्र दिखती है लेकिन ज्यादातर शहरवासी पश्चिमी संस्कृति के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।वर्तमान समय में यह सब कुछ मात्रा में गांव में भी दिखाई दे रहे हैं।
4. ग्रामीण लोग देशी खाद्य पदार्थ में रुचि रखते हैं, जबकि शहर वासियों में विदेशी खाद्यो के प्रति आकर्षिण देखा गया है।

5.खाद्य पदार्थ,जीवन शैली आदी के कारण ग्रामीण लोग शहर वासियों से ज्यादा स्वस्थ रहते हैं।

6.भारतीय गांव में हर त्योहार को एक साथ मिलजुल कर मनाया जाता है । इसलिए गांव में ज्यादा एकता बनी रहती है।

7.गांव में पानी,सड़क,अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधा जो शहर में होते हैं वह गांव में अच्छे से नहीं मिल पाते।
     
    यहां पर किसी भी गांव या शहर को ऊंचा या नीचा नहीं दिखाया जा रहा यह बस एक साधारण नजरिया है।
     अंत में आप 100% मानेंगे कि भारत गांव से ही शुरू हुआ था और उसकी जीवन गांव में ही बसती है।

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