Side-effects of smartphone on brain......
Do really smartphones dangerous for brain ?
Let's find it out.....
क्या smartphone से दिमाग पर खराब प्रभाव पड़ता है ?
आजकल smartphone हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गये हैं। बीना smartphone के आज लोग दिन नहीं गुजर पाएंगे। लगभग हर कार्य smartphone के द्वारा हो जाता है। मानव जीवन को सहज बनाने में ये काफी मददगार है।
लेकिन smartphone के ऐसे कई तथ्य सामने आए हैं जो हमारे दिमाग को बुरी तरह प्रभावित करता है।
मस्तिष्क पर स्मार्टफोन के प्रभाव क्या हैं? आज स्मार्टफोन की व्यापकता को देखते हुए, यह स्वास्थ्य चिकित्सकों, मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों, शिक्षकों, माता-पिता, के लिए रुचि का प्रश्न है।
यदि आपको अपने स्मार्टफोन के बिना एक दिन जाने के लिए कहा जाता है, तो क्या आपको लगता है कि आप इसे आसानी से कर सकते हैं? शोधकर्ताओं ने विभिन्न समय के लिए प्रतिभागियों को अपने फोन के बिना जाने के लिए कहा है। मगर उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
संज्ञानात्मक क्षमता/cognitive ability
संज्ञानात्मक क्षमता(cognitive ability )को एक "मानसिक क्षमता" के रूप में परिभाषित किया जा सकता है ... जिसमें तर्क करने की क्षमता, योजना, समस्याओं को हल करना, सार रूप से सोचना, जटिल विचारों को समझना, जल्दी से सीखना और अनुभव से सीखना शामिल है।
हाल के शोध से पता चलता है कि स्मार्टफोन का उपयोग वास्तव में मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है, हालांकि दीर्घकालिक प्रभाव देखा जाना बाकी है।
रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका में प्रस्तुत एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि तथाकथित इंटरनेट और स्मार्टफोन की लत वाले युवा लोग वास्तव में मस्तिष्क में असंतुलन का महसूस करते हैं।
सामाजिक-भावनात्मक कौशल
बाल चिकित्सा पत्रिका में छपी टिप्पणी में, बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने स्मार्टफोन पर उपलब्ध साहित्य पर बारीकी से विचार किया।
बच्चों के मनोरंजन या उन्हें शांत करने के लिए ऐसे उपकरणों का उपयोग करना, वे चेतावनी देते हैं, उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
सोने में परेशान
रात को सोने से पहले जब हम मोबाइल फोन से स्क्रोल करते जाते हैं, मैसेज चेक करते हैं, तो हमारा दिमाग शांत नहीं बैठता। यह हमारे दिमाग में एक chemical release करता है जो हमारे दिमाग में यह सिग्नल छोड़ता है कि अभी रात नहीं हुआ और ये सोने का वक्त नहीं है। इसलिए हमारे नींद लेने में परेशानी होती है।
मानसिक आलस्य
मोबाइल उपकरण इन दिनों सिर्फ व्याकुलता की पेशकश नहीं करते हैं बल्कि हमारे दिमाग में आलस्य को बढ़ावा देती है। हमें जो भी तथ्य चाहिए होता है हम मोबाइल इंटरनेट के माध्यम से संग्रह कर लेते हैं और पुस्तकों की तरह नजर नहीं बढ़ाते। इसी तरह से हम कई गतिविधियां ऐसे करते हैं जो हमारे उन्नति में बाधा डालते हैं यह सब हमारे मानसिक तौर पर आलस बना देते हैं ।
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