The 21 gram experiment,do really spirit exist, क्या सच में आत्मा होती है ? Weight difference between dead and alive

The 21 gram experiment, experiment of spirit existence.

Do really spirit exist ?

आत्मा के अस्तित्व के लिए प्रयोग, क्या सच में आत्मा होती है ?


आज के पोस्ट में आप आत्माओं के सच के बारे में जानेंगे


हमारा ब्रह्मांड रहस्यों से भरा है। ऐसे प्रश्नों की अंतहीन सूची है जिनका उत्तर हम नहीं जानते। विज्ञान इन अनसुलझे सवालों के सभी जवाब देने की पूरी कोशिश कर रहा है और कुछ हद तक इसने कुछ ऐसे जवाब दिए हैं जो हमें वास्तविकता से परिचित कराते हैं। लेकिन और भी बहुत कुछ है जिसके जवाब अभी दिए जाने बाकी हैं। और यही कारण है कि विज्ञान किसी और चीज से ज्यादा दिलचस्प है। 

सीमित समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उन्नति के साथ हमें कई रहस्यों का ज्ञान प्राप्त हुआ। हमें परमाणुओं का विचार आया जो इतना छोटा है कि दिखाई भी नहीं देता, हमें ब्लैक होल का विचार आया जहां हम परमाणु के आकार से छोटे होते हैं। जीवों के निर्माण के बारे में एक और रहस्य है जो अनसुलझा है और बहुत दिलचस्प है। उस तरह मृत्यु के बारे में रहस्य है जो जन्म के  रहस्य से भी अधिक रोचक है। 

मौत के रहस्य के इर्द-गिर्द कई सवाल घूम रहे हैं। मरने के बाद क्या होता है ? क्या आत्मा वास्तव में मौजूद होता है ? क्योंकि विज्ञान और अध्यात्म दोनों में आत्मा को अमर बताया गया है। विज्ञान में आत्मा ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे शरीर में निहित है। यह विज्ञान द्वारा सिद्ध किया गया है कि ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, इसलिए क्या किसी के शरीर की आत्मा कभी नष्ट नहीं होती ?


इसलिए इस तरह के सवालों को हल करने के लिए कई वैज्ञानिकों ने कई अजीब प्रयोग किए हैं । इस प्रकार का एक experiment है '21 Gram Experiment' । 


1907 में New York's Time में एक लेख छपा, जिस में ये काहा गया था कि आत्मओं का एक वजन होता है। इस प्रयोग को किया था Dr. Duncan McDougall/ डंकन मैकडॉगल नामक एक डॉक्टर ने। Dr. Duncan McDougall का जन्म 1866 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो सहर में हुआ था। जब वो 20 साल के हुए तो अमेरिका के मैसाच्यूसेट विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। वो अपना अधिकतर समय वाहां के एक चैरिटीवल अस्पताल में गुजरे। जो अस्पताल के प्रमुख थे वो एक कारोबारी थे और उनका चीन से ताल्लुकात थे। इसलिए अस्पताल में चीन में बनी एक तराजू था जो बड़े अच्छे से वजन माप लेता था। उस‌ समय वाहां के अस्पताल में बहुत सारे मौतें हो रही थी। तब उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न आत्माओं का वजन मापा जाए।

जो लोग गंभीर रूप से बीमार थे या जीनके बचने की संभावना न के बराबर हो उन्हें तराजू से फिट की हुई बेड रखा जाता था। फिर जीवित रहते और मरने के बारे उसके शरीर में कौन कौन से बदलाव आते हैं वे उसपर नजर रखते। मरने से पहले और मरने के बाद के वजन लिए गए। जिस में 21 ग्राम का अंतर दिखा। डॉक्टर का कहना था कि ये और 6 लोग लोगों पर किया गया । कुछ मामलों में वजन का बढ़ना घटना हो रहा था।

डॉक्टर का कहना था कि उन्होंने 15 कुत्तों पर भी ये प्रयोग करके देखें पर उसमें नतीजा पक्ष में नहीं आया। मतलब वाहा वजन में कोई अंतर नहीं दिखा।

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